अमृतपुर,फर्रुखाबाद, आरोही टुडे न्यूज
अभिषेक तिवारी की रिपोर्ट
तहसील क्षेत्र में एक बार फिर गंगा व राम गंगा के जलस्तर में उफान आ गया है। गंगा व रामगंगा का जलस्तर लगातार कटान कर रहा है। लगातार राम गंगा के जलस्तर वृद्धि हो रही है। जिसके कारण ग्रामीणों की धड़कनें तेज हो गई हैं। ग्रामीण बताते हैं कि दो-दो किलोमीटर दूर से अपने पशुओं के लिए हरा चारा लाने को मजबूर हैं।चारों तरफ बाढ़ का पानी भरा हुआ है। ग्रामीण बाढ़ के पानी में घुसकर निकलने को मजबूर हैं।विकास खंड राजेपुर क्षेत्र के अन्नदाताओं के लिये बाढ़ अभिशाप सावित हो रही है।अन्नदाताओं की पहले ही सारी फसलें तवाह हो चुकीं हैं। अब अन्नदाताओं की आखरी उम्मीद गन्ना ओर धान की फसल से थी लेकिन कुदरत की इस मार से अब उनकी आखरी उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है। लगभग एक महीने से बाढ़ का पानी भरे रहने से गन्ना भी सड़ने लगा है। ओर यही हाल धान की फसल का भी हो गया है। हरिहरपुर वीरपुर निवासी बुजुर्ग दयाराम बताते हैं कि मेरी उम्र 80 बर्ष के आसपास है। मेरे जीवन काल में बाढ़ तो बहुत वार आई परन्तु जो इस वार तवाही हुई इस तरह की तवाही कभी नहीं हुई पहले बाढ़ आती थी दो चार दिन में पानी निकल जाता था हम लोग फिर से अपने कामों में व्यस्त हो जाते थे। जीविका पर असर तो पड़ता था लेकिन ज्यादा नुकसान नहीं होता था। हमारी फसलें बर्बाद होने से बच जाती थीं। इस समय बाढ़ की विभीषिका से चारों तरफ हाहाकार मची हुई है। लगभग दो सप्ताह से अधिक समय से तो गंगा खतरे के निशान से लगातार ऊपर ही बनी हुई हैं। बाढ़ की इस भयंकर महामारी से किसान बुरी तरह से टूटने लगा है क्योंकि धीमे-धीमे वह दाने-दाने को मोहताज होने लगा है। कई गांव में आवागमन के रास्ते बंद हो चुके हैं तो कई जगह लोग छतों पर या अन्य किसी ऊंचे स्थान पर रहकर रातें बिता रहे हैं। दैनिक दिनचर्या तक के लाले पड़े हुए हैं। बाढ़ में घिरे सैकड़ों लोग तो ऐसे हैं जो अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए दिन में मजदूरी करके शाम को उन पैसों से राशन लेकर जाते थे। परंतु बीते एक महीने से ऐसे लोगों के पास काम ना होने के कारण खाने के लिए राशन भी धीमे-धीमे खत्म हो चुका है। प्रशासन द्वारा एक बार तो खाद्य सामग्री वितरित कर वाहवाही लूट ली गई परंतु उसके बाद अभी तक इन बाढ़ पीड़ितों का ना जनप्रतिनिधियों द्वारा और ना ही प्रशासन द्वारा कोई ख्याल किया गया। बाढ़ की इस भयंकर महामारी में अन्नदाता तो पूरी तरह से लगभग टूटने से लगा है। भाऊपुर चौरासी निवासी अन्नदाता दिलासा का कहना है कि बाढ़ के शुरुआती दिनों में जहां मूंगफली, शिवाला,मक्का आदि की फसल नष्ट हो गई थी। तो वहीं अब किसानों की आखिरी उम्मीद बची गन्ना की फसल भी धीमे-धीमे समाप्त होने लगी है। सैकड़ों एकड़ खेत में खड़े गन्ने की फसल खराब हो चुकी है। गन्ने की फसल हो या धान की फसल सब कुछ बाढ़ की इस भयंकर महामारी में तबाह होता जा रहा है। ऐसे में पत्थर दिल वाले अन्नदाता के माथे पर भी सिकन आने लगी हैं। अन्नदाता तो अपना एवं अपने परिवार का भरण पोषण फसलों के सहारे से ही करता है। और पतित पावनी मां गंगा की बाढ़ ने इस बार भयंकर तबाही मचा कर अन्नदाता के सपनों पर पानी फेर दिया। किस प्रकार से वह अपने परिवार का लालन पोषण करेगा, किस तरह से अपने बच्चों की शिक्षा जारी रखने हेतु विद्यालय में फीस का भुगतान करेगा, किस तरह से वह अपनी बिटिया के हाथ पीले करेगा ? यह चिंता बाढ़ से घिरे क्षेत्र के लगभग एक सैकड़ा से अधिक गांवों प्रत्येक अन्नदाता के दिल में है। बाढ़ ने अन्नदाता की तो जैसे जिंदगी ही छीन ली है। रहने के लिए ना कोई सहारा बचा न जीने के लिए कोई माध्यम। बड़े-बड़े साहूकारों एवं बैंकों से कई किसानों ने इस उम्मीद से कर्ज लेकर अपनी फसलों को लगाया था कि आने वाले समय में फसल की अच्छी पैदावार से वह अपने कर्जे भी निपटा देगा और शानो शौकत से अपने सपनों को भी पूरा करेगा। परंतु अन्नदाता को क्या मालूम था कि इस बार ईश्वर उस पर क्या कहर ढाने वाला है? बाढ़ से तबाह हुए किसान के पास अब कोई उम्मीद नहीं बची है।बाढ़ प्रभावित गांवों में अन्नदाताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने मवेशियों के चारे पानी को लेकर है।खेतों में चारे आदि को बाढ़ ने खत्म कर दिया है।कई अन्नदाताओं के पास भूसा न होने की स्थिति में दूर दूर से बाढ़ में घुसकर घास लानी पड़ती है।बीते दिनों बाढ़ में घुसकर चारा लेने गए अन्नदाता की मौत भी बाढ़ में डूबने से हो गई थी।अन्नदाताओं को राहत देने के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर अन्नदाताओं के बाढ़ से हुए नुकसान का सही सही आकलन करवाकर उसे उचित मुआवजा दिलवाया जाए। जिससे कम से कम इस बरस तो वह हतोत्साहित ना हो और जीने के लिए कुछ राहत मिल सके। इस बाढ़ की विभीषिका से रामपुर जोगरपुर, नगररिया जवाहर, कुबेरपुर कुतलूपुर, भाऊपुर चौरासी, हरिहरपुर वीरपुर, तौफीक की मड़ैया, मंझा, कुडरी सारंगपुर, फखरपुर, बनासीपुर, हमीरपुर परतापुर, किराचन, जटपुरा, खुशहाली नगरा, पंचमनगरा, रोशन नगरा, नगरा परसादी, मखननगरा, आदि सैकड़ों गांवों के अन्नदाताओं का हाल एक जैसा ही है। सिर्फ बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर हैं। यहाँ के अन्नदाताओं के दिलों में सबसे ज्यादा कसक जनप्रतिनिधियों को लेकर है। जिन्हें आज एक महीने से ज्यादा बाढ़ को होने को जा रहा। परन्तु जनपद के किसी जनप्रतिनिध ने धरातल पर आकर हमारी तकलीफ को महसूस करने की भी जहमत नहीं उठाई।