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बाढ़ के पानी ने बिगाड़े हालात, फसलें हुई नष्ट,बिजली पानी की समस्या

कायमगंज,फर्रुखाबाद,आरोही टुडे न्यूज 

नरौरा तथा अन्य बांधों में क्षमता से अधिक पानी जमा होने पर खतरे को देखते हुए नरौरा बांध तथा अन्य बांधों से लगातार छोड़े गए कई हजार क्यूसेक पानी, ऊपर से पिछले दो-तीन दिन पहले लगातार चार-पांच रोज तक हुई मूसलाधार वर्षा के कारण जनपद फर्रुखाबाद की तहसील कायमगंज के कंपिल, कायमगंज ब शमशाबाद की तराई क्षेत्र में बाढ़ का प्रकोप अपनी चरम सीमा की ओर पहुंच गया। कपिल क्षेत्र में इकलहरा, शेखपुरा , कारब तथा कायमगंज क्षेत्र एवं शमशाबाद के गांव चौरा , शरीफपुर आदि एक सैकड़ा से अधिक ग्रामों की हालत बहुत ही दयनीय हो गई है। अधिकांशतः हर गांव में पानी भर गया। यहां तक की घरों के अंदर तक पानी ही अपनी नजर आ रहा है। कायमगंज से तराई क्षेत्र को जाने वाले सिनौली मार्ग पर बनी पुलिया कुछ ऊंचाई पर थी। लेकिन अब तो इस पुलिया के भी चारों ओर यहां तक की पुलिया की छत तथा उसकी मुंडेर भी पानी में डूब गई है। पुल -पुलिया तथा मार्ग चारों ओर बाढ़ का पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। इस आपदा के चलते इस बहुत बड़े भू-भाग पर खड़ी सभी फैसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं। किसी तरह व्यवस्था कर मेहनत कस अन्दानता ने भविष्य के सपने संजोकर फसलों को बोया था। लेकिन अब तबाही का मंजर साफ दिखाई देने लगा है। बर्बाद होती फसलों को देखकर पहले से ही आर्थिक स्थिति से परेशान कृषक वर्ग मायूसी का जीवन जीने को मजबूर हो रहा है। वहीं अब बाढ़ की विभीषिका के चलते उसके सामने रहने, उठने बैठने, रात को चैन से सोने एवं खाने-पीने तक की विकराल समस्या उत्पन्न हो गई है। इसी के साथ इस क्षेत्र के बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों के बच्चे खतरे के कारण स्कूल भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। यहां के वाशिंदों का कहना है कि ऐसी विषम आपदा के समय उन्हें जितनी जरूरत है । उस हिसाब से राहत उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जो भी राहत उपलब्ध कराई जा रही है। उसका प्रचार अधिक किया जा रहा है। कोई थोड़े बहुत पैकेट लाकर एक बार खाने के लिए दे भी देता है, तो फोटो खिंचवाकर केवल अपना प्रचार करता है। सोचने योग्य बात है कि जब दिन में कम से कम दो बार भूख लगती है, बच्चों को तो कई बार भोजन की जरूरत पड़ती है, तो फिर ऐसे में कभी- कभार दी जा रही राहत सामग्री ऊंट के मुंह में जीरा साबित होने के समान ही है। खैर जो भी हो इतना तो सही है कि इस भीषण प्राकृतिक आपदा के समय लोगों के रहने, खाने पीने तथा आने जाने जैसी समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी हैं । अब तो केवल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरह बाढ़ खत्म हो जाए। तो कम से कम अपने पेट की भूख मिटाने तथा बच्चों के लिए कुछ न कुछ काम कहीं ना कहीं से व्यवस्था करके कर सकें। जिसे जिंदगी की गाड़ी ढर्रें पर आ सके।

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