फर्रुखाबाद, आरोही टुडे न्यूज
गर्भाशय में गांठें या फाइब्रॉइड्स महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन चुकी है। इसी वजह से अधिकतर महिलाओं को 40 की उम्र के बाद और कुछ को इससे भी कम उम्र में ही गर्भाशय निकलवाना पड़ता है। फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की वे गांठें हैं जो इसके अंदर या बाहरी किनारों पर होती हैं। ये गांठें कैंसर की नहीं होती। यह कहना है आजाद भवन के होम्योपैथी विभाग में तैनात चिकित्साधिकारी डॉ सुरेंद्र सिंह का l
डॉ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि यूटराइन फाइब्रॉइड यानी बच्चेदानी की गांठ को जड़ से खत्म किया जा सकता हैं। यूटराइन फाइब्रॉइड महिलाओं के यूटरस से जुड़ी बीमारी है। यह एक तरह का गैर कैंसरस ट्यूमर है, जो तकरीबन 50 फीसदी महिलाओं को उनके जीवन में कभी न कभी हो ही जाता है। इसे गर्भाशय की रसौली भी कहा जाता है।
डॉ सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गर्भाशय की मांसपेशियों में छोटी-छोटी गोलाकार गाठें बनती हैं, जो किसी महिला में कम बढ़ती हैं और किसी में ज्यादा। यह मटर के दाने के बराबर भी हो सकती हैं और किसी-किसी महिला में यह बढ़ कर गेंद जैसा आकार भी ले सकती हैं। वे गैर कैंसरस ट्यूमर होते हैं इसलिए तुरन्त सर्जरी की जरूरत नहीं होती। ऐसे में होम्योपैथी के जरिए इस यूटराइन फाइब्रॉइड को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर, महिला का अल्ट्रासाउंड कराकर देखते हैं और उसी प्रोग्रेस के आधार पर इलाज आगे बढ़ता है। चार से छह महीने के इलाज में मरीज को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
यूटेराइन फाइब्रॉइड के लक्षण
कुछ महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉइड के लक्षण दिखाई दे सकते हैं और कुछ में नहीं। गर्भाशय में फाइब्रॉइड होने के दौरान एक महिला को मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में दर्द, बार-बार पेशाब आना, मूत्राशय पर दबाव, मलाशय में दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कब्ज, पेट फूलना, 7 दिनों से अधिक समय तक पीरियड्स रहना, खून का थक्का जमना आदि लक्षण दिख सकते हैं।
डॉ सुरेंद्र ने बताया कि मरीज खुद अपना इलाज न करें और न ही यू ट्यूब और गूगल से दवाई के बारे में आधा अधूरा ज्ञान लेकर किसी भी दवाई का सेवन न करें l इससे परेशानी बढ़ सकती है l योग्य चिकित्सक की सलाह के बाद ही होम्योपैथिक दवा का सेवन करें l