डॉ. एस0बी0एस0 चौहान
चकरनगर/इटावा, चंबल की हुंकार से कुछ गांवो का संबंध मुख्य मार्गों से टूटता जा रहा है जिससे ग्रामीणों की सांसें पुरानी यादें तरोताजा कराते हुए घबराहट पूर्ण दिखाई दे रहीं हैं,हालांकि प्रशासनिक अधिकारी चंबल की हुंकारी लहरों पर पूर्ण रूप से अलर्ट हैं। उनका यह मानना है कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए शासन और प्रशासन मुस्तैद है।ग्रामीणों के हर मुसीबत में प्रशासन भागीदार रहने का दावा भी ठोक रहा है। इसी दावा रूपी ऑक्सीजन को लेकर ग्रामीण अपनी दिनचर्या को नित्य की भांति व्यतीत कर रहे हैं। पिछले साल आई बाढ़ विभीषिका में चंबल की हुंकार भर्ती लहरों ने दैनिक हिंदुस्तान के स्थानीय संवाददाता धर्मेंद्र प्रताप सिंह सेंगर का मकान भी चौतरफा से घेर रखा था करीब 1 हफ्ते तक छत पर ही सपरिवार समय बीतने का समय आज श्री सेंगर को आभासित कर रहा है। जब इस खबर से स्थानीय मीडिया कर्मियों ने तहसील प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया तो उनकी कोई सुध लेने तक नहीं गया था। और तो और बाद में किसी भी प्रकार की राहत सामग्री और राशि भी उपलब्ध तक नहीं कराई गई थी। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष के सापेक्ष श्री सेंगर का मानना है कि अभी तो चंबल की हुंकार भर्ती तरंगे भय तो दिखा रहीं हैं, लेकिन अभी काफी दूर हैं।अबकी बार प्रशासन भी बदला और एकदम एक्टिव भी है।
बताते चलें कि पिछली वर्ष में बाढ़ की विभीषिका ने अपना वह तांडव दिखाया था कि जिसे देखकर हर एक सांसें थम ही नहीं गई थीं टूट रही थीं और अब बस वही भयावना दृश्य हुंकार भरतीं चंबल की लहरों से आभास हो रहा है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की चहल कदमी से ग्रामीणों में दम बंधा हुआ है।लोगों का मानना है कि यदि स्थिति कहीं बिगड़ती है तो प्रशासन जल मार्ग व वायु मार्ग से जन हानी को होने से बचाएगा। पिछले दिवस जिलाधिकारी अवनीश कुमार राय का दौरा चंबल के किनारे बसे गांव में होने से लोगों की इस समय हिम्मत बढ़ी है।इसी के चलते तराई वाले यमुना और चंबल के गांवों में बाढ़ राहत चौकियां स्थापित की गई हैं, जो 24×7 घंटे सेवा में तत्पर हैं। हर खबर से प्रशासन को अपडेट कराया जा रहा है किसानों की जो फसल नेस्तनाबूद हुई है प्रशासन उसके लिए भी बंदोबस्त करेगा ऐसा लोगों का मानना है।
स्थलीय पड़ताल करने गए हमारे संवाददाता ने रिपोर्ट दी है कि गढा़कास्दा पंचायत के निभी गांव की रास्ता, भरेह पंचायत के तींन मजरा चकरपुरा,अम्दापुर, अचरौली मुख्य मार्गो से कटे हुए हैं हालांकि उनका आना-जाना किसी अन्य उच्च मार्गों से तो है लेकिन रोजमर्रा वाले रास्ते में पानी कहीं-कहीं पर तो सड़क पर 1 किलोमीटर तक भरा दिखाई दे रहा है। तहसील प्रशासन ने अवगत कराया है कि बाढ़ का असर सिर्फ 122 मीटर तक ही विस्तार कर पाएगा उससे ज्यादा की कोई चांस नजर नहीं आ रहे हैं इससे भी ग्रामीणों को काफी राहत मिली हुई है।
