अमृतपुर, फर्रुखाबाद, आरोही टुडे न्यूज, अभिषेक तिवारी की रिपोर्ट
विकासखंड राजेपुर में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गई है। बीते दिनों मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार के सख्त निर्देश पर राजेपुर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ आरिफ सिद्दीकी के द्वारा कुछ झोलाछाप क्लीनिक पर नोटिस चस्पा किया गया था तथा एक क्लीनिक को सीज किया गया था। नोटिस के ही क्रम में अमृतपुर क्षेत्र के ग्राम अमैयापुर पश्चिम में डॉक्टर अर्जुन के क्लीनिक पर भी नोटिस चस्पा किया गया था और तीन दिन में जवाब मांगा गया था साथ ही यह भी नोटिस के माध्यम से बताया गया कि यदि तीन दिन के अंदर जवाब नहीं मिला तो मेडिकल एक्ट की विधिक धाराओं में मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। 3 दिन बीतने के बाद भी अभी तक अमैयापुर पश्चिम के झोलाछाप डॉक्टर अर्जुन पर विभाग द्वारा कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाई गई है और मामले को केवल नोटिस चस्पा करने तक ही छोड़ दिया गया है। नोटिस चस्पा होने के बाद भी झोलाछाप डॉक्टर द्वारा विधिवत रूप से बेखौफ होकर क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार यह भी संज्ञान में आया है कि अमैयापुर पश्चिम के झोलाछाप डॉक्टर अर्जुन की शिक्षा केवल 12वीं तक ही है। ऐसे में झोलाछाप चिकित्सक द्वारा भोले भाले ग्रामीणों का इलाज कर उनकी जान से भी खेला जा रहा है।इस मामले पर जब राजेपुर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अभी तक उन्हें नोटिस का कोई जवाब नहीं मिला है। जनपद के तेजतर्रार मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अवनींद्र कुमार से जब इस मामले पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि वह तत्काल प्रभाव से राजेपुर प्रभारी को विधिक रूप से कार्यवाही करने का निर्देश देंगे। अब देखना यह है कि उच्च अधिकारियों का निर्देश प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा किस प्रकार अमल में लाया जाता है और किस तरह से नोटिस का जवाब नहीं मिलने के बाद ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्यवाही होती है। स्वास्थ्य विभाग में जनपद स्तर से तो कार्यवाही हो जाती है परंतु निचले स्तर पर कार्यवाही सिर्फ नोटिस चस्पा करने तक ही सीमित रह जाती है। यदि नोटिस चस्पा होने के बाद ऐसे झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाए तो सैकड़ो मरीजों को गलत इलाज मिलने से बचाया जा सकता है मुकेश भारद्वाज क्लीनिक को सीज करने के बाद बैठकर मरीज के साथ किया जा रहा खिलवाड़।