आरोही टुडे न्यूज – कानपुर के जाजमऊ क्षेत्र में स्थित राजा ययाति का किला, जो उत्तर भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है, आज भू-माफियाओं के अवैध कब्जे और प्रशासनिक लापरवाही के कारण नष्ट होने के कगार पर है। यह किला भारतीय इतिहास के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, लेकिन वर्तमान में इसकी हालत बेहद दयनीय है।
सनातन मठ मंदिर रक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि यह किला 1968 में चर्चा में आया, जब पुराने गंगा पुल की खुदाई के दौरान यहाँ 2800 साल पुराने अवशेष मिले। यह स्थान मौर्य और मुगल काल के प्रमाणों का साक्षी है और भारतीय संस्कृति की समृद्ध धरोहर का हिस्सा है।
संस्था के महामंत्री गोपाल दीक्षित ने कहा कि यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित घोषित किया गया था। इसके बावजूद भू-माफियाओं ने किले के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अवैध खुदाई और अतिक्रमण के कारण बहुमूल्य पुरावशेष नष्ट हो गए हैं, जो हमारी ऐतिहासिक विरासत के लिए बड़ी क्षति है।
संस्था के जिला अध्यक्ष उमेश तिवारी ने मांग की कि किले के समीप स्थित प्राचीन मंदिरों और बुढ़ीया घाट का तत्काल जीर्णोद्धार कराया जाए। उन्होंने कहा, “ये स्थल न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पूजनीय हैं। इनका पुनरुद्धार क्षेत्र के विकास और लोगों में हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक होगा।”
संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर द्विवेदी ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार और प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा, “राजा ययाति का किला और इसके आसपास के धार्मिक स्थल हमारी सभ्यता के गौरवशाली अतीत का प्रतीक हैं। इसे बचाने के लिए एएसआई को विस्तृत खुदाई और संरक्षण कार्य शुरू करना चाहिए। साथ ही, भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।”
यह किला न केवल इतिहास की गवाही देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक धरोहर भी है। यदि इसे जल्द संरक्षित नहीं किया गया, तो यह अमूल्य विरासत हमेशा के लिए खो जाएगी।
सनातन मठ मंदिर रक्षा समिति, उत्तर प्रदेश ने सरकार और संबंधित विभागों से इस ऐतिहासिक किले, प्राचीन मंदिरों और बुढ़ीया घाट को बचाने और इनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है। संस्था ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई नहीं की गई, तो समाज और संस्कृति दोनों के लिए यह एक बड़ी क्षति होगी।
