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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच कर उनको उचित दवा और सलाह दी गई

 


फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज़
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सोमवार को गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच कर उनको उचित दवा और सलाह दी गई l
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देखरेख में किया जाता है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया आदि की सुविधा अस्पताल में उपलब्ध हैं। इसी क्रम में सीएचसी बरौन में प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ राणा प्रताप सिंह की देखरेख में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान मना l
जिसमेें 21 गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच की गई जिसमें से 3 महिलाएं उच्च जोखिम गर्भावस्था की मिली ।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में कराया जाता है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने की तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं।
केस 1- बढ़पुर ब्लॉक के गावं महलई की रहने वाली 20 वर्षीय अन्नु बताती हैं मेरे पहला बच्चा होने को है लेकिन मेरी लम्बाई कम है इसलिए मैं हर माह अपने स्वास्थ्य की जांच कराने अस्पताल आती हूं और मैं अपना प्रसव भी अस्पताल में ही कराऊंगी l

केस 2-इसी गांव की रहने वाली 24 वर्षीय गुड्डी बताती हैं कि मेरे तीन बच्चे हो चुके हैं लेकिन सभी की जन्म लेने के बाद मृत्यु हो चुकी है अब मैं फिर से गर्भवती हूं l आज अपने स्वास्थ्य की जांच कराने आशा के साथ अस्पताल आई हूं l मेरे सभी बच्चे सामान्य प्रसव से हुए इस बार भी मैं सरकारी अस्पताल में ही प्रसव कराऊंगी l

सीएचसी बरौन पर डॉ. सचिन कटियार ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है। किसी भी गर्भावस्था में जहां जटिलताओं को संभावना अधिक होती है, उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में रखा जाता है। इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित चिकित्सक की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है।
नगरीय स्वास्थ्य केन्द्र रकाबगंज में तैनात डॉ शोभा सक्सेना कहती हैं कि अस्पताल आने वाली अधिकतर महिलाओं में खून की कमी देखने को मिलती है मेरा सभी से कहना है गर्भ के दौरान अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए| इस दौरान आयरन, कैल्सियम की गोली, हरे पत्तेदार सब्जी, दूध, गाजर, चुकंदर का सेवन करती रहें |
डॉ शोभा कहती हैं कि हम लोगों का भरसक प्रयास रहता है कि अस्पताल आने वाली प्रत्येक गर्भवती महिला को उचित इलाज मिल सके l
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अतुल गुप्ता ने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस अभियान के दौरान अब तक 6292 गर्भवती की जाँच की गई जिसमें से 1487 गर्भवती उच्च जोखिम की अवस्था में मिलीं, जिनका इलाज किया गया |इनमें से 329 महिलाओं का सुरक्षित संस्थागत प्रसव भी कराया जा चुका है |
इनको रखते हैं उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की श्रेणी में
• कम उम्र में गर्भावस्था
• कम वजन
• ज्यादा उम्र (35 वर्ष से अधिक)
• गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप
• गंभीर एनीमिया (7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन)
इस दौरान बीपीएम पारुल, बीसीपीएम विनीता, एएनएम साधना , स्टॉफ नर्स सोनाली , यूनिसेफ से डीएमसी अनुराग दीक्षित सहित अन्य लोग मौजूद रहे 

 

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