जिला हरदोई के ग्राम भौहापुर मढ़ी नस्योली डामर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस में कलश यात्रा निकाली गई व भक्ति ज्ञान वैराग्य एवं गोकर्ण धुंधकारी की कथा सुनाई व द्वितीय दिवस में असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक परम पूज्य अनूप ठाकुर जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा शक्ति को देने वाली है मुक्ति को देने वाली है भक्ति को देने वाली है जब जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर का पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों शास्त्रों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है।
व्यास अनूप महाराज ने श्रीमद् भागवत की अमर कथा व सुखदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया। कैसे श्री कृष्ण सुखदेव महाराज को धरती पर भेजे भागवत कथा ज्ञान करने को ताकि कलयुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव की ओर से मां पार्वती को सुनाई जा रही भागवत कथा सुन ली। इससे शिव नाराज होकर उन्हें मारने दौड़े। साथ ही राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया।
ठाकुर महाराज ने कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी। जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए। और शुकदेव जी की शरण में पहुंचे शुकदेव जी ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि सब को सात दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना नहीं है। संसार में जितने भी प्राणी हैं। सब की मृत्यु एक ना एक दिन तो होनी है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे भगवान की प्राप्ति हो जाती है ! कथा आयोजक बाबा चन्दमादास जी महाराज, व श्याम दास, परिक्षित सत्येंद्र सिंह सपत्नीक, अतुल सिंह चौहान, अनिल सिंह छविराम सिंह, सूरज त्रिवेदी, अनमोल त्रिवेदी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें!