फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज़
जनपद में बुधवार से पोलियो की बूस्टर डोज नौ माह पर बच्चों को लगने वाले एमआर टीका के पहली डोज के साथ लगाई जाएगीl पहले यह बच्चों को डेढ़ और साढ़े तीन माह पर यानि दो डोज दी जा रही थीं l यह जानकारी दी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रभात वर्मा नेl उन्होंने बताया कि बच्चों को पोलियो से सुरक्षा देने के लिए फ्रेक्शनल इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन की बूस्टर डोज नियमित टीकाकरण में शामिल कर ली गई है।
उन्होंने बताया कि बूस्टर डोज लग जाने के बाद बच्चों में पोलियो वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता और अधिक हो जाएगीl नियमित टीकाकरण के दौरान जो भी बच्चा नौ माह का हो गया होगा। जिसको पहली और दूसरी डोज पोलियो की लग चुकी होगी उसको ही पोलियो वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जाएगी l पहली व दूसरी डोज में दो माह का अंतर होना चाहिए l पहले जिन बच्चों को नौ माह पर एमआर का पहला टीका लग चुका है उनको पोलियो का बूस्टर डोज नहीं दी जाएगी l
डीआईओ ने बताया कि पोलियो बहुत ही संक्रामक बीमारी है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से या फिर उनके छींकने या खांसने से हवा में फैली संक्रमित बूंदों को सांस के जरिये अंदर लेने से फैलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंतों, श्लेम (म्यूकस) और लार में पाया जाता है। पोलियो का वायरस आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों को इसमें केवल फ्लू के हल्के लक्षण ही महसूस होते हैं, मगर पोलियो की वजह से लकवा हो सकता है और ज्यादा गंभीर हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत में पोलियो का आखिरी केस वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में मिला था। इसके बाद कोई भी केस नहीं मिला है l यह कहीं न कहीं लोगों में पोलियो अभियान के प्रति जागरुकता के कारण ही संभव हुआ हैl पोलियो की दोनों डोज कारगर हैं लेकिन पड़ोसी देशों में अभी भी पोलियो केस विद्यमान हैं इसलिए सरकार की ओर से एहतियातन बूस्टर डोज देने का निर्णय लिया गया है।
डीआईओ ने बताया कि बच्चों को, खासकर कि पांच साल से कम उम्र वालों को यह बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, मगर पोलियो का टीका बच्चे का इस बीमारी से बचाव कर सकता है।
डीआईओ ने बताया कि भारत को पोलियो मुक्त देश बनाए रखने के लिए हमें सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगवाना जारी रखना होगा। जिन बच्चों को पोलियो का टीका नहीं लगता, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा अभी भी है क्योंकि यह संक्रमण हमारे आसपास से पूरी तरह मिटा नहीं है और अब भी आसानी से फैल सकता है।
क्या है पोलियो वैक्सीन
ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी)
ओपीवी यानि पोलियो ड्रॉप्स एक मौखिक टीका है, जिसमें वायरस का जीवित मगर कमजोर रूप होता है। वायरस कमजोर होने की वजह से बच्चे को बीमार नहीं कर सकता, मगर उसकी आंतों और खून में प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया होती है और वायरस के खिलाफ एंटिबॉडीज बनना शुरु हो जाती है। इस तरह शिशु जीवन भर के लिए पोलियो से सुरक्षित हो जाता है। शिशु को हर बार इस टीके के रूप में दवा की दो बूंद पिलाई जाएंगी।
इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (आईपीवी)
आईपीवी में निष्क्रिय मृत वायरस होता है और यह इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। इस टीके से शिशु के खून में प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया होती है, जिससे उसे जिंदगी भर के लिए पोलियो से सुरक्षा मिल जाती है।
एनएफएचएस 5 (2019 21) के अनुसार जिले में 12 से 23 माह के बीच 72.2 प्रतिशत बच्चों ने पोलियो की तीनों खुराक ले लीं थीं जो एनएफएचएस 4 (2015 16) के अनुसार 64.5 प्रतिशत थी l