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शीतलहर में हाइपोथर्मिया से करें बचाव – डॉ. ऋषिनाथ गुप्ता

फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज़

सर्दियों का मौसम चल रहा है। उत्तर भारत में पारा रिकॉर्डतोड़ तरीके से नीचे गिर रहा है। ठंड ने मध्य भारत में अपने पैर पूरी तरह से जमा लिए हैं। बढ़ती ठंड के साथ-साथ बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है। जुकाम, खांसी, बुखार के साथ ही हाइपोथर्मिया जैसी स्थिति का भी खतरा बना रहता है। यह कहना है सिविल अस्पताल लिंजीगंज में तैनात मेडिकल आफीसर डॉ ऋषिनाथ गुप्ता का ।

डॉ गुप्ता ने बताया कि हाइपोथर्मिया एक स्थिति होती है जब तेज ठंड की वजह से हमारा शरीर और दिमाग जमने लगता है। आम भाषा में हम इसे ठंड लगना कहते हैं। इस बीमारी में रोगी के हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगते हैं, काम करना बंद कर देते हैं, पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और बुजुर्गों को होता है। इसमें उनका शरीर नीला पड़ने लगता है। कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है। खाली पेट हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा होता है। उन्होंने बताया कि इस समय अस्पताल में प्रतिदिन 5 से 6 मरीज़ इस रोग से ग्रस्त आए हैं जिनको उचित इलाज देकर स्वस्थ किया जाता है l मेरी सभी से अपील है कि इस सर्दी के मौसम में खुद को बचा कर रखें अनावश्यक घर से बाहर न निकलें अगर किसी काम से बाहर जाना पड़ रहा है तो अपने शरीर को ढक कर रखें l
कंगारू मदर केयर है हाइपोथर्मिया से नवजात को बचाने में सहायक
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिवाशीष उपाध्याय बताते है कि नवजात शिशु का शरीर बेहद संवेदनशील होता है उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में कंगारू मदर केयर तकनीक द्वारा शिशु को मां अपने सीने से चिपका कर अपने शरीर की गर्माहट से बच्चे के शरीर के तापमान को बनाए रखती है, जिससे हाइपोथर्मिया से शिशु को बचाया जा सकता है। डॉ उपाध्याय का कहना है अगर मां बीमार है और बच्चे को कंगारू मदर केयर नहीं दे सकती है तो परिवार का कोई भी सदस्य बच्चे को के एम सी दे सकता है जिससे समय रहते बच्चे को हाइपोथर्मिया से बचाया जा सकता है ।

ऐसे पहचानें लक्षण

शरीर का तापमान अगर 95 डिग्री से कम हो जाए या शरीर पर्याप्त गर्मी न पैदा कर पाए, तो हाइपोथर्मिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इस बीमारी में रोगी की आवाज धीमी हो जाती है या उसे नींद आने लगती है। पूरा शरीर कांपने लगता है। हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं। दिमाग शरीर का नियंत्रण खोने लगता है। वहीं ठंड के मौसम में शराब पीने से अचानक से गर्मी लगने लगती है तो ये हाइपोथर्मिया की चेतावनी हो सकती है। ठंड लगने पर हृदय की गति सामान्य से तेज हो जाती है। ऐसी स्थिति में मांसपेशियां तापमान का लेवल बनाए रखने के लिए एनर्जी रिलीज करती हैं। शराब पीने से हाथ-पैर की नसें फैलती हैं लेकिन ऐसे में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे हाथ-पांव ठंडे होने लगते हैं मगर इस बात का भ्रम होता है कि ये गर्म हैं।

क्या है उपचार ?

– हाइपोथर्मिया के रोगी को सबसे पहले गर्म कपड़ों से ढककर किसी गर्म कमरे या गर्म जगह पर लिटा दें। ध्यान रहे ऐसी स्थिति में सीधे गर्मी देना खतरनाक हो सकता है इसलिए आग के पास या हीटर के पास मरीज को सीधे न ले जाएं। हाइपोथर्मिया के मरीज को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।

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