सस्ती लोकप्रियता के लिए नेता धार्मिक भावनाओं को आहत करने से भी बाज नहीं आते हैं. यूपी की राजनीति में अलग-थलग पड़ चुके स्वामी प्रसाद मौर्य अब रामचरित मानस पर प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं.
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता और विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्या ने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ”तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित करना चाहिए. तुलसीदास की रामायण को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बोल यहीं नहीं थमे. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में सब बकवास है. रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है. तुलसीदास ने शुद्र को अधम जाति का कहा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि स्त्रियों को पढ़ने-लिखने का अधिकार अंग्रेजों की हुकूमत में मिला, लेकिन दलितों को पढ़ने-लिखने का अधिकार अंग्रेजों के राज में मिला. धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया.
कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक के लेखक और रेशनलिस्ट प्रो के एस भगवान ने भी भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था. प्रो भगवान ने कहा कि राम दोपहर के वक्त अपनी पत्नी सीता के बैठकर शराब पीते थे, उन्होंने दावा किया कि ये उनकी कल्पना नहीं है नहीं है बल्कि वाल्मिकी रामायण के उत्तर कांड में इस बात को लिखा गया है. इसी तरह बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस ने भी विवादित बयान दिया था.
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था, ”मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं. रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं.” उनके इस बयान की बीजेपी की कड़ी निंदा की थी. उनके इस बयान पर जेडीयू ने किनारा कर लिया था।
