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महिलाओं में लगातार बढ़ रहा है पीपी आईयूसीडी के प्रति विश्वास

जिले में अप्रैल 22 से फरवरी 23 तक 11754 महिलाओं ने गर्भनिरोधक के रूप में ली पीपी आईयूसीडी की सेवा

फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज़
बढ़पुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम जसमई की राधा, 25 वर्ष (काल्पनिक नाम) ने बताया कि मैंने 17 अगस्त 2022 को अपना प्रसव सीएचसी बरौन में कराया। इसके बाद मैंने कापर टी लगवा ली। मुझे इसके लगने के बाद कुछ दिन तक पेट में हल्का दर्द रहा लेकिन कुछ समय बाद ठीक हो गया l इस समय मुझे कोई परेशानी नहीं हैl इसी गांव की अन्य महिला रंजीता, 23 वर्ष (काल्पनिक नाम) ने बताया कि मेरा प्रसव 8 फरवरी को सीएचसी पर हुआ। इसके बाद मैंने कापर टी अपना लियाl अभी तक मुझे कोई परेशानी नहीं हुई है लेकिन मैं रोज-रोज के गर्भधारण से बच गईl
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनींद्र कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके लिए समय-समय पर तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों को लाभार्थियों तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश रहती है। इसमें भी दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए कई तरह के अस्थायी गर्भ निरोधक साधन लाभार्थियों की पसंद के मुताबिक उपलब्ध हैं। इसमें एक प्रमुख साधन है-पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपी आईयूसीडी) जो कि प्रसव के 48 घंटे के अन्दर लगता है और जब दूसरे बच्चे का विचार बने, तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं। सीएमओ ने बताया कि अनचाहे गर्भ से लम्बे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाओं के बीच सबसे अधिक पीपी आईयूसीडी को ही पसंद किया गया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि विभाग का जोर रहता है कि संस्थागत प्रसव के मुकाबले कम से कम 20 फीसद महिलाओं को जागरूक कर पीपी आईयूसीडी के लिए तैयार किया जाए। उनको परिवार कल्याण के बारे में जागरूक करने में आशा कार्यकर्ता और एएनएम की प्रमुख भूमिका रहती है। एसीएमओ ने बताया कि लोगों को लगातार जागरूक करने का प्रयास रहता है कि “छोटा परिवार-सुखी परिवार” के नारे को अपने जीवन में उतारने में ही सभी की भलाई है। इसके लिए उनके सामने “बास्केट ऑफ़ च्वाइस” मौजूद है, उनके फायदे के बारे में भी सभी को जागरूक किया जाता है l
एसीएमओ ने बताया कि मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए । उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने योग्य महिला का शरीर नहीं बन पाता और पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत जरूरी होता है ।

जिला परिवार नियोजन परामर्श दाता विनोद कुमार ने बताया कि जिले में लगातार पांच वर्षों से महिलाओं में पीपी आईयूएसडी के बारे विश्वास बढ़ा है l
विनोद ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में फ़रवरी तक 11754 महिलाओं ने इस अस्थाई साधन को अपनाया है तो वहीं पिछले वित्तीय वर्ष 21 22 में 10492 महिलाओं ने , वित्तीय वर्ष 20 21 में 7857 , वित्तीय वर्ष 19 20 में 5374 तो वहीं वित्तीय वर्ष 18 19 में 4312 महिलाओं ने पीपी आईयूएसडी को अपनाया था l
क्या है पीपी आईयूसीडी :
नगरीय स्वास्थ्य केंद्र रकाबगंज में तैनात स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा सक्सेना ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अन्दर यानि अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले महिला आईयूसीडी लगवा सकती है । एक बार लगने के बाद इसका असर पांच से दस साल तक रहता है । बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने की यह लम्बी अवधि की विधि बहुत ही सुरक्षित और आसान भी है । यह गर्भाशय के भीतर लगने वाला छोटा उपकरण है जो कि दो प्रकार का होता है- पहला कॉपर आईयूसीडी 380 ए- जिसका असर दस वर्षों तक रहता है, दूसरा है- कॉपर आईयूसीडी 375, जिसका असर पांच वर्षों तक रहता है ।

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