7 अप्रैल शुक्रवार के दिन से हिन्दू पंचाग का दूसरा महीना वैशाख (Vaishakh) शुरू हो गया है। यह माह 5 मई को समाप्त होगा। वैशाख में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को विशेष रूप से पूजन की परम्परा है। वैशाख के देवता भगवान विष्णु हैं। पुराणों में कहा गया है कि वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से अनंत शुभ फल मिलता है।
स्कंद पुराण में बताया गया है कि वैशाख महीने में स्नान-दान के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी कहा गया है कि वैशाख महीने में की गई भगवान विष्णु की पूजा से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
स्कंद, पद्म, ब्रह्मवैवर्त पुराण और महाभारत में वैशाख महीने को बहुत खास बताया गया है। इन ग्रंथों में कहा गया है कि वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने, जलदान और तीर्थ में नहाने से हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं। वैशाख महीने में इन कामों को करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर नहाएं। इसके बाद सूर्य को अघ्र्य दें। भगवान विष्णु की पूजा करने का संकल्प लें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। चरणामृत ग्रहण करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। भगवान को फूल, धूप, नैवेद्य आदि सामग्री चढ़ाएं। दीपक जलाएं। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। व्रत की कथा सुनें। दूसरे दिन यानी द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
करने चाहिए यह काम-
1. सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं।
2. भगवान विष्णु के साथ ही देवी महालक्ष्मी की पूजा भी करें।
3. किसी मंदिर जाएं और ध्वज यानी झंडे या पानी से भरे मटके का दान करें।
4. शिवजी के सामने दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें।
5. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, काले तिल चढ़ाएं।