कायमगंज,फर्रुखाबाद,आरोही टुडे न्यूज
शासन और प्रशासन भले ही अपने भाषणों में या फिर कागजों में बेहतर स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध कराने का कितना भी दाबा करे। किंतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कायमगंज की स्वास्थ्य सेवाएं लगातार अव्यवस्थाओं के चलते बदहाली का शिकार होती चली जा रही है। इतना ही नहीं जो कर्मचारी या अन्य जिम्मेदार हैं भी, शायद वह भी अपनी ड्यूटी को ड्यूटी न समझ कर मनमानी करते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। यहां तक की हाजिरी रजिस्टर पर तो उपस्थिति दर्ज हो जाती है। लेकिन जिस जगह ,जिस कक्ष में उन्हें ड्यूटी करनी है। उस कक्ष के चक्कर पीड़ित लगाता रहता है। लेकिन संबंधित स्वास्थ्य कर्मी, मरीज को ढूंढे ही नहीं मिलता है। कारण की अटेंडेंस दर्ज करने के बाद उसका जहां जी होता है, वहां घूम फिर कर समय पूरा करने के बाद संबंधित अपने घर को वापस चला जाता है। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला प्रकाश में आया। बताया गया कि कोविड-19 के दौरान दंत चिकित्सक बाला रूम नंबर 17 कोवेट कोविड-19 के लिए व्यवस्था के अनुसार ले लिया गया था। कोविड काल समाप्त हो गया। लेकिन दंत चिकित्सक डॉ मीना मरीजों का इलाज कहां करती है। किसी को दिखाई नहीं देता। इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर दबी जुबान से कुछ कर्मचारियों ने बताया कि डॉ० मीना की ड्यूटी रजिस्टर में तो रोज लगती है। लेकिन बे अपने ड्यूटी कक्ष की बजाए पड़ोस के कमरा नंबर 13 में अन्य साथियों के साथ गप्पे मार कर अपना ड्यूटी आवर पूरा करती हैं और झोला उठाकर रवाना हो जाती है। मरीज भटकता रहे, उसे कितनी परेशानी हो, शायद इससे डॉ. मीना को जो हजारों रुपया शासन से वेतन के रूप में ले रही हैं, उन्हें कोई मतलब नहीं है। विडंबना तो यह है कि जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर सरवर इकबाल से जब इस संबंध में जानकारी करने का प्रयास किया गया। तो उन्होंने अपना फोन ही नहीं उठाया ।बता दें कि अधीक्षक के अतिरिक्त इस इतने बड़े सरकारी अस्पताल में 3 संविदा चिकित्सक और एक विभागीय नियमित चिकित्सक डॉ विपिन कुमार सिंह नियुक्त हैं। संविदा चिकित्सक आते हैं। अपनी ड्यूटी भी करते हैं और निश्चित समय पर वापस चले जाते हैं। ऐसे में बचे अकेले बेचारे नियमित चिकित्सक डॉ विपिन कुमार सिंह जी, जो हर रोज ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ को संभालने के साथ ही इमरजेंसी ड्यूटी भी करते हैं ।लगातार हर रोज -18- 18 ,घंटे से भी ज्यादा वर्क लोड होने के कारण जहां डॉ विपिन खुद परेशान होते हुए दिखाई देते हैं। वही एक चिकित्सक के सहारे चल रहा यह खैराती अस्पताल जिसमें एक ही डॉक्टर को बहुत अधिक समय और श्रम के साथ काम करना पड़े। तो ऐसे में यह चिकित्सक भी कहीं मनोरोग से पीड़ित ना हो जाए। लोगों का मानना है कि ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिम्मेदारों को साथ ही शासन को चाहिए कि डॉक्टरों की कमी दूर करते हुए। दंत रोग चिकित्सक जैसे कर्मचारियों को सबक सिखाकर ड्यूटी कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
संवाददाता अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट