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स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग में विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

फर्रुखाबाद, आरोही टुडे न्यूज 

पर्यावरण की रक्षा, देश की सुरक्षा ——-
स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग , सरैया फर्रुखाबाद में विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम मनाया गया जिसके अंतर्गत सर्वप्रथम सभी विद्यार्थियों ने समस्त स्टाफ सहित पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली तत्पश्चात संस्था के डायरेक्टर डॉ० सचिन दुबे , प्राचार्य एवं समस्त नर्सिंग स्टाफ ने विद्यार्थियों को पर्यावरण के बारे मे जागरूक करते हुए संबोधित किया कि पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं। कोई भी व्यक्ति या वस्तु चाहे वो सजीव हो या निर्जीव, पर्यावरण के अन्तर्गत ही आती है। पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हैं। हमारे द्वारा कि गई हर अच्छी और बुरी गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता है।

इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशील प्राणी माना जाता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्य की ही है। पर्यावरण अर्थात् जिस वातावरण में हम रहते हैं। हमारे आस पास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और उत्साह का संचार होने लगता है। हरे भरे लहलहाते पेड़, आसमान में कलरव करते और चहचहाते पक्षी, जंगल में दौड़ते जीव जंतु, समन्दर में आती और जाती हुई लहरें, कल कल करके बहती हुई नदियां आदि जो मनोरम अहसास करवाते हैं, वो हमें अन्य कहीं से महसूस नहीं हो सकता। फिर भी ये अफ़सोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वे यह नहीं जान पा रहे कि पर्यावरण की हानि करके वे अपने सर्वनाश को निमंत्रण दे रहे हैं। आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा। पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए और मानव ने भी उनका भरपूर उपयोग किया। प्राचीन काल से लेकर अब तक जिस भी वस्तु की जरूरत हमें महसूस हुई, वो पर्यावरण से ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमें हासिल हुई है। जैसे जैसे समय बीतता गया हमारी जरूरतें भी बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण के प्रति निर्दयता दिखाने लगे। हमने जनसंख्या वृद्धि पर पहले से रोक नहीं लगाई, जिससे लोगों को संसाधन कम पड़ने लगे और अत्यधिक रूप से पर्यावरण का विनाश होने लगा। गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, पेड़ पौधों और वनों का विनाश होने लगा, जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मारा जाने लगा, हर तरफ प्रदूषण फैल गया। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा। जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया।

पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से दुष्प्रभाव हैं जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव, ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है उसका क्षरण, भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा – पानी – परिवेश प्रदूषित होना, पेड़ पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न होना इत्यादि कई बुरे प्रभाव हैं। प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, वास्तव में प्रकृति का संरक्षण ही उसका पूजन है। हमारे भारत में पर्वत, नदियां, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी से मानवीय संबंध जोड़े गए हैं। वृक्षों को संतान स्वरूप और नदियों को मां स्वरूप माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञात था कि मानव स्वभाव कैसा होता है, मानव अपने लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रकृति के साथ मानवीय सम्बन्धों को विकसित किया। वे जानते थे कि पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। हम सभी को अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि “सूरज की किरणे जब पड़ती है धरती पर तभी होता है सवेरा पेड़ लगाओ धरती बचाओ तभी कर पाओगे इस पर बसेरा”, इसके पश्चात संस्था डायरेक्टर डॉ० सचिन दुबे एवं समस्त स्टाफ द्वारा महाविद्यालय में पेड़ पौधे लगाये गये | विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम के अवसर पर संस्था अध्यक्ष विनोद कुमार अग्निहोत्री एवं प्रबंधक अनुराग दुबे ने सभी से पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु अपील की |

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