नियोजित और स्वस्थ परिवार के लिए पुरूष भी बनें जिम्मेदार

फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज 

मातृ शिशु स्वास्थ्य और परिवार की खुशहाली में नियोजित परिवार की अहम भूमिका है, लेकिन इसका जिम्मा सिर्फ आधी आबादी के कंधों पर डाल दिया गया है । इस चलन को बदलना होगा । नियोजित और स्वस्थ परिवार के लिए पुरूष को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आना होगा । इसी सोच को साकार करने के लिए इन दिनों सोशल मीडिया पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से ‘‘मर्द भी बने जिम्मेदार’’ हैशटैग के साथ अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि 35 फीसदी भारतीय पुरूष गर्भनिरोधन को महिला की ही जिम्मेदारी मानते हैं। जिले में परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ दलवीर सिंह का कहना है कि पुरूष भागीदारी के दोनों साधन कंडोम और नसबंदी महिला द्वारा अपनाए जाने वाले साधनों की तुलना में अधिक सुरक्षित व प्रभावी हैं।
डॉ दलवीर ने बताया कि पुरूष भागीदारी बढ़ाने के लिए नवदंपति को दिये जाने वाले शगुन किट में कंडोम भी दिये जाते हैं। कंडोम न केवल परिवार नियोजन में अहम भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि इनसे यौन रोगों से भी बचाव होता है । शादी के बाद आशा कार्यकर्ता नवदंपति को प्रेरित करती हैं कि पहला बच्चा शादी के दो साल बाद ही करना है और दो बच्चों में तीन साल का अंतर भी बना रहे । पहले बच्चे में देरी और दो बच्चों में अंतर के लिए त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन और कई बार इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल महिलाओं द्वारा किया जाता है जिससे कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं और महिला को थोड़ी बहुत परेशानी भी होती है। इसके सापेक्ष अगर पुरूष कंडोम का इस्तेमाल करें तो दंपति का जीवन खुशहाल रहेगा और किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं होगी । जिले की 234 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन बॉक्स हैं जहां पूरी गोपनीयता के साथ कंडोम ले सकतें हैं और किसी प्रकार की रोक टोक भी नहीं है।

नगरीय स्वास्थ्य केंद्र रकाबगंज पर तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा सक्सेना बताती हैं कि जिन दंपति द्वारा परिवार नियोजन के पारम्परिक साधनों पर जोर रहता है वहां अनचाहे गर्भ का खतरा ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल करती हैं और विभाग यह सुविधा उपलब्ध भी कराता है, लेकिन लगातार कई बार इस दवा का इस्तेमाल करने से महिला के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । सुरक्षित और कारगर त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर महिला को माहवारी सम्बन्धित हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है । आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी में भी महिलाओं को बदलाव की चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इसके विपरीत अंतराल में भी पुरूष की भागीदारी सरल और सुरक्षित है ।

जिले में पुरुष नसबंदी की स्थिति- वित्तीय वर्ष 2021 22 में 3 पुरूष नसबंदी, 2022 23 में 3 पुरुष नसबंदी और इस वित्तीय वर्ष 2023 24 में सेवा प्रदायगी पखवाड़े के दौरान अब तक दो पुरुष नसबंदी जिले में हो चुकी है l
साथ ही कंडोम के आंकड़ों को देखा जाए तो इसका प्रयोग लगातार बढ़ रहा है जहां वित्तीय वर्ष 2021 22 में 5,12,494 कंडोम इस्तेमाल हुआ तो वित्तीय वर्ष 2022 23 में 6,72,487
कंडोम का इस्तेमाल हुआ तो इस वित्तीय वर्ष 2023 24 में सेवा प्रदायगी पखवाड़े के दौरान शुक्रवार तक 19233 कंडोम का प्रयोग किया गया l

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