गंगा कटरी क्षेत्र में बाढ़ का जल सैलाब जारी, बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का करना पड़ रहा सामना क

शमशाबाद ,फर्रुखाबाद,आरोही टुडे न्यूज 

गंगा कटरी क्षेत्र में बाढ़ का जल सैलाब जारी। लंबा वक्त गुजरने के बावजूद भी बाढ़ के थमने के आसार नहीं। मेहनत मजदूरी के लिए मजबूर बाढ़ पीड़ितो का बाहरी शहरों में पलायन जारी। आखिर जिए तो जिए कैसे बाढ़ के हालातो से ?
उधर राहत सामग्री के लिए भटक रहे बाढ़ पीड़ितो को क्षेत्रीय लेखपाल ने जिला पंचायत सदस्य की मौजूदगी में प्रधानमंत्री राहत सामग्री के 150 पैकेट वितरित किए। लेकिन इससे होता क्या है।
जानकारी के अनुसार गंगा कटरी क्षेत्र में पिछले एक महीने से बाढ़ का तांडव देखा जा रहा है। हर दिन गंगा में पानी छोड़ने जाने से यहां कटरी क्षेत्र के हालात बिकराल हो गए है। बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ का सैलाब खेतों से लेकर ग्रामीणों के घरों तक देखा जा रहा है। लोग भविष्य के खतरों को लेकर पिछले सवा महीने से सड़क किनारे डेरा जमा कर जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में समय गुजर रहे हैं। हालत यह है जिन घरों में उनका डेरा है उन घरों में चारों ओर पानी ही पानी देखा जा रहा है। घरों के अंदर पड़ी चारपाइयो के आसपास पानी देखा जा रहा है। दीवाल के सहारे चूल्हा रखकर दो वक्त का भोजन बनाकर जीवन की प्रक्रिया महिलाओ द्वारा संभाली जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है क्षेत्र में लगातार बाढ़ के प्रकोप से इंसान ही नहीं जानवर भी बेहाल है। पिछले सवा महीने बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बुरा वक्त गुजारने वाले लोगों ने या तो अपने-अपने जानवरों को विक्रय कर दिया या फिर रिश्तेदारियो में शरण ले ली है। इसके अलावा तमाम लोग अपने जानवरों को बटाई पर देकर दो वक्त की रोटी के लिए बाहर निकल गए। बाढ़ से बेहाल लोगों का कहना था पिछले सवा महीने से बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में रहकर उनकी सारी आर्थिक व्यवस्थाएं चौपट हो गई। खाने पीने के लाले है। बाढ़ पीड़ितों का कहना था बह भूखे रहकर अपना वक्त गुजार सकते हैं । लेकिन छोटे-छोटे बच्चों को भूख से बिलखता नहीं देख सकते। इसके लिए उन्हें कुछ ना कुछ करना आवश्यक है। शायद यही सोच कर अधिकांश बाढ़ पीड़ित ग्रामीण घर परिवार के सदस्यों के साथ या तो रिश्तेदारी में चले गए हैं या फिर दिल्ली हरियाणा पंजाब चले गए। बाढ़ पीड़ित लोगो का कहना था कम से कम बाहर रहकर दो वक्त की रोजी-रोटी तो कमाई जा सकती है। भूख से तड़पते बच्चों को दो वक्त का निवाला तो उपलब्ध कराया जा सकता है। बताते हैं रविवार को बाढ़ पीड़ित क्षेत्र शरीफपुर छिछनी, जैतपुर तथा मंझा जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। यहां बाढ़ पीड़ितों में 150 लोगों को प्रधानमंत्री राहत सामग्री के पैकिटो का वितरण किया गया। इस मौके पर ग्राम प्रधान पर्वत सिंह तथा अन्य समाज सेबी जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। बताते हैं क्षेत्रीय लेखपाल तथा जिला पंचायत सदस्य कुंवर जीत सिंह उर्फ जीतू भैया के माध्यम से प्रधानमंत्री बाढ़ राहत सामग्री के पैकेट उपलब्ध कराए गए । बाढ़ पीड़ितो का कहना है पिछले सबा महीने से ज्यादा समय का वक्त गुजारने के बावजूद भी बाढ़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस बिनासकारी बाढ़ की चपेट में उनके द्वारा खेतों में हजारों लाखों रुपए की कीमत से तैयार की फसले भी बर्बाद हो गई। गांव आने जाने के रास्ते जलमग्न हो गए। सड़को पर पानी बह रहा। कई जगह सड़के कट गई । जल सैलाब की भेंट में गांव के गांव समाते जा रहे हैं। बाढ़ पीड़ित गांव समोचीपुर चितार में अधिकांश ग्रामीण खतरों को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर चले गए। लेकिन अभी भी तमाम लोग गांव में डेरा जमाए हुए या तो अपने घरों की रखवाली कर रहे हैं या फिर बाढ़ के जाने का इंतजार कर रहे हैं। घरों में पानी भरा हुआ है फिर भी महिलाएं दीवार के सहारे ईंटों का चूल्हा बना कर दो वक्त का भोजन तैयार कर रही हैं। तमाम घरों के अंदर महिलाओ को जल भराव होने के कारण चारपाईयों अथवा तख्त पर खाना बनाते हुए देखा गया तो तमाम लोगों को परिवार सहित मकान की छतों पर भी डेरा जमा कर गुजर करते हुए देखा गया। यहां किसानों द्वारा तैयार की कीमती फसले भी बर्बाद हो गई। जिसमें गन्ने की फसल भी है। चारों तरफ जल भराव देखा जा रहा है साथ ही गन्ने की फसल की बर्बादी का नजारा साफ-साफ देखा जा रहा है। लोगों का कहना था बाढ़ के हालातो ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। हर तरफ बर्बादी है कहीं भी आबाद होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही। मायूस लोगो का कहना था कि आखिर जिए तो जिए कैसे, बाढ़ के ऐशे हालातो से?

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