जिला हरदोई के ग्राम सुहेडी़ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक परम पूज्य अनूप ठाकुर जी महाराज ने कहा कि कलयुग में जीव का कल्याण भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है, प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हो तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो हरी भजों, भगवान का भजन ही सार है बांकी सब बेकार है।
व्यास अनूप महाराज ने भक्तों को सुखदेव जी के जन्म का वृतांत सुनाया। ठाकुर जी ने कहा कि सुखदेव जी माता के गर्भ से जन्म लेते ही वन में चले गए। ऐसे सर्वभूत श्री सुखदेव जी जिन्हें ये भी नहीं पता की स्त्री और पुरुष में क्या भेद है। जिनके पिता श्री वेद व्यास जी उन्हें मिलने के लिए जंगल गए और पुत्र-पुत्र कहते हुए थक गए तब तरु यानि वृक्षों ने कहा की कौन किसका पुत्र और कौन किसका पिता? वेद व्यास जी आप जिनको अपना पुत्र कह रहे हैं वो तो कभी आपका पिता था। ऐसे शब्दों को श्रवण करने से वेद व्यास जी को सत्य का ज्ञान हो गया और वो सुखदेव जी को बिना साथ लिए ही वापस चले आए। आगे के प्रसंगों के माध्यम से परीक्षित जी के जन्म प्रसंग, कुंती स्तुति, भीष्म स्तुति, राजा परीक्षित जी का सुखदेव जी की सभा में आगमन, सधोमुक्ति का वर्णन किया।
व्यास अनूप ठाकुर ने श्रीमद्भागवत कथा का परिचय देते हुए कहा कि श्री मद्भागवत कथा मानव जीवन का आधार है। श्रीमद्भागवत ह्रदय के संशयों को दूर करती है। इस मौके पर आयोजक रंजीत सिंह फौजी, अनंगपाल सिंह बाबा, सर्वजीत सिंह, दीपू सिंह, गोविंद सिंह, नटवर सिंह, बसंत सिंह, श्याम सिंह, रामसागर समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें!