माघ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हो गई है। इस स्नान के साथ ही एक महीने तक चलने वाला कल्पवास भी शुरू हो जाएगा। माघ मेला का स्नान पौष पूर्णिमा 6 जनवरी से आरंभ हो चुका है और महाशिवरात्रि 18 फरवरी को समाप्त होगा। माघ मेला का पहला स्नान हुआ है। माना जाता है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही प्रयागराज में एक माह का कल्पवास से एक कल्प (ब्रह्मजी का एक दिन) का पुण्य मिलता है। आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के बारे में वेदों, पुराणों, महाभारत और रामायण में भी मिलता है। शुक्रवार को मेले की शुरुआत के साथ ही शहर में नगर देवता की शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि शोभायात्रा के साथ नगर देवता से मेले के लिए अनुमति ली जाती है।
पौष पूर्णिमा से माघ कल्पवास आरंभ-
नववर्ष की पहली पूर्णिमा ‘पौष पूर्णिमा’ आज को मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि यह पूर्णिमा शुक्रवार को प्रात:काल 2.14 बजे से शुरू होकर शनिवार को प्रात:काल 4.37 बजे संपन्न होगी। इसी दिन सुबह 11.33 से दोपहर 12.15 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि के योग बनने से यह पूर्णिमा और भी खास हो गई है। मान्यता है कि इस दिन तिल और कंबल दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा पूर्णिमा पर चंद्रमा के साथ नारायण और लक्ष्मीजी की पूजा करने से प्रभु भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। पौष पूर्णिमा का पुण्य काल पूरे दिन चलेगा, ऐसे में पूरे दिन स्नान का शुभ योग बना हुआ है। इस पूर्णिमा पर तीन योगों का भी मिलन हो रहा है। इंद्र और ब्रह्म योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है। ग्रह और योगों के शुभ प्रभाव पूर्णिमा पर माघ स्नान व दान का महत्व और भी बढ़ जाता है।
कल्पवास के नियम-
कल्पवास के लिए वैसे तो उम्र की कोई बाध्यता नहीं है लेकिन माना जाता है कि संसारी मोह-माया से मुक्त और जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके व्यक्ति को ही कल्पवास करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिम्मेदारियों से जकड़े व्यक्ति के लिए आत्मनियंत्रण थोड़ा कठिन माना जाता है। कल्पवास की शुरुआत हर वर्ष सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ पौष पूर्णिमा से होती है और यह माघी पूर्णिमा के साथ संपन्न होता है।
कल्पवास भोजन और शयन के नियम-
एक माह तक चलने वाले कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर शयन (सोना) होता है। इस दौरान फलाहार, एक समय का आहार या निराहार रहने का भी प्रावधान है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियमपूर्वक तीन समय गंगा स्नान और यथासंभव भजन-कीर्तन, प्रभु चर्चा और प्रभु लीला का दर्शन करना चाहिए। कल्पवास की शुरुआत करने के बाद इसे 12 वर्षों तक जारी रखने की परंपरा है। हालांकि इससे अधिक समय तक भी इसे जारी रखा जा सकता है। कल्पवास की शुरुआत पहले दिन तुलसी और शालिग्राम की स्थापना और पूजन के साथ होती है।
माघ स्नान की प्रमुख तिथियां-
पौष पूर्णिमा – 6 जनवरी 2023
मकर संक्रांति – 14 या 15 जनवरी 2023
मौनी अमावस्या – 21 जनवरी 2023
माघी पूर्णिमा – 5 फरवरी 2023
महाशिवरात्रि – 18 फरवरी 2023