फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज़
कुष्ठ निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत आगामी 30 जनवरी को होने वाले कुष्ठ निवारण दिवस के आयोजन की तैयारियों को लेकर सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया l
इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अवनीन्द्र कुमार ने बताया कुष्ठ अब लाइलाज नहीं रह गया है l इसके आरंभिक लक्षणों को देखते हुए समय पर चिकित्सा आरंभ कर दिये जाने से इससे बचा जा सकता है l लेकिन कुष्ठ रोगियों को समाज से मिले तिरस्कार के कारण अधिकांश कुष्ठ रोगी इसे बताने या चिकित्सा कराने से बचना चाहते हैं l समय पर उपचार नहीं होने के कारण कुष्ठ रोग गंभीर हो जाता है l गंभीर अवस्था होने पर यह रोगी को दिव्यांगता की स्थिति में पहुंचा देता है l
जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ हनी मल्होत्रा ने बताया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा करने व उनकी देखरेख करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है। कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति से किसी को भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को उनके नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके।
डॉ मल्होत्रा ने बताया कि कुष्ठ रोग एक कीटाणु से होता है जिसका नाम माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री है। इस बैक्टेरिया द्वारा रोगी की त्वचा पर स्पर्श करते हुए उन्हें संक्रमण का शिकार बना लिया जाता है। कुष्ठ की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है। इससे त्वचा, श्वसन तंत्र और आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।शरीर में सुन्नता, जलन, चुभन और दर्द का एहसास कम होना या बिलकुल न होना कुष्ठ रोग की पहचान है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में 66 लोग कुष्ठ रोग से ग्रसित हैं जिनमें से 6 लोगों ने समय पर इलाज कराया और आज वह स्वस्थ हैं ।
इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक, जिला सामूदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक, सभी सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी, बीपीएम, बीसीपीएम, एनएमए, एनएमएस, नॉन मेडीकल सुपर वाइजर मनोज, हेल्थ एजुकेटर प्यारे लाल सहित अन्य लोग मौजूद रहे ।