जिला फर्रूखाबाद के ग्राम सथरा में श्रीमद्भागवत कथा का असलापुर धाम से पधारें सुप्रसिद्ध कथावाचक परम पूज्य अनूप ठाकुर महाराज द्वारा हुआ शुभारंभ भागवत कथा शुरू होने से पूर्व गांव के मुख्य मोहल्लों एवं रामपुर, जिठौली, पूरनपुर भरखा चौराहा से होते मंदिरों में होकर भव्य कलश यात्रा निकाली गई। बैंडबाजों पर बज रहे भक्ति गीतों पर महिला व पुरुष भक्ति गीतों पर नाचते गाते हुए साथ चल रहे थे। कलश यात्रा गांव के जिस मोहल्लें से भी होकर गुजरी वहीं पर पुष्प वर्षा कर जोशीला स्वागत किया गया पतित पावनी मां गंगा से कलश भरकर कथा पांडाल में स्थापित किय गये!
मध्याह्न काल बेला में भागवत कथा को सुनाते हुए कथा व्यास अनूप ठाकुर जी महाराज ने कहा कि कलियुग में श्रीमद्भागवत कथा सर्व प्रकार से कल्याणकारी हैं भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। भागवत की महिमा सुनाते हुए कहा कि एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की, लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई। नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे, जो अचेत थे। युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है। यह दोनो मेरे पुत्र है, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है। यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे। लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत हो गए। बूढे़ हो गए। आप इन्हें जगा दीजिए। इसके बाद देवर्षि नारद जी ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 18 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया। लेकिन वह नहीं जागे। नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी। ज्ञान -वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा। मुनियों के बताने पर नारद जी ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया। मुनि कथा व्यास और नारद जी मुख्य परीक्षित बने। इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए। महाराज जी ने कहा कि भागवत कथा से धुंधकारी को मोक्ष प्राप्त हुआ इसी के साथ महाराज जी द्वारा परिक्षित जन्म की कथा सुनाई गयी कथा को सुनने के लिए प्रथम दिवस में ही आयोजक श्रीनिवास सिंह प्रधान, कृष्ण गोपाल सिंह, अवधेश सिंह, हरि सिंह, अभिमन्यु सिंह, अनिल सिंह बबलू सिंह प्रधान जिठौली, श्रीमती प्रतिमा सिंह समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें!