मन की बात ज्ञानेश मिश्रा
आरोही टुडे न्यूज – हर कोई चाहता है कि दुर्घटनाएं न हो, लेकिन इसके बाद सावधानी कोई भी नहीं बरतना चाहता। प्रतिदिन दुर्घटनाएं कहीं न कहीं सुनने को मिल रही है। बावजूद इसके लोग सबक नहीं ले रहे हैं। हादसों का सबसे बड़ा कारण तो रफ़्तार है। ओवरलोड डग्गामार वाहन बाइक पर तीन सवारी, बिना हेलमेट गाड़ी चलाना, असीमित रफ्तार आदि से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। चार पहिया वाहनों पर सीट बेल्ट लगाए हुए शायद ही कभी कोई दिखे। मौजूदा समय में डंपर ट्रक आमजन के लिए साक्षात यमराज के समान हैं। डंपर ट्रकों की वजह से आए दिन दर्दनाक हादसे होते रहते हैं।
यातायात से जुड़े अधिकारी सबसे यातायात नियमों का अनुपालन के लिए गुहार लगा रहे ,दंड-जुर्माने का हवाला दे रहे लेकिन कुछ अपवाद स्वरूप लोगों को छोड़ दिया जाए तो इसका प्रभाव फिलहाल तक किसी पर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। रोजाना दिन हो या रात छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं लेकिन बावजूद इसके अधिकांश गाड़ियों पर अब तक रिफ्लेक्टर पट्टी लगा नहीं दिखाई दे रहा। यही नहीं यातायात अधिकारियों को भी इसके अनुपालन के लिए सख्त निर्देश दिए गए थे लेकिन रिफ्लेक्टर पट्टी को न तो लोग खुद से लगवा रहे हैं और न ही यातायात पुलिस या थाना पुलिस इसके लिए सख्त कदम उठा रही है। वहीं देखा जाए तो ‘अंडर एज’ यानी 18 वर्ष से नीचे के बच्चे धड़ल्ले से बाइक और इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा चलाते हर जगह मिल जाएंगे। इस पर सख्ती तो पुलिस को ही करनी है लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा। निर्देश के बाद कहीं भी चेकिंग में सख्ती नहीं दिख रही है। सड़क पर अधिकांश लोग बिना कागज, बिन लाइसेंस या बिना हेलमेट के वाहन चला रहे हैं। समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। इस दौरान लोगों को हेलमेट पहनने व सीट बेल्ट लगाकर चलने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। ऑटो रिक्शा और बाइक चलाने वाले 18 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ कोई भी अभियान पुलिस नहीं चला रही है।
ढाबों और रेस्टोरेंट के बाहर खड़े होने वाले वाहनों पर भी पुलिस की कोई एडवाइजरी जारी नहीं की है क्योंकि ठंड का मौसम शुरु हो चुका है रात में कोहरे से भी हादसे होते रहते हैं।