राजेपुर,फर्रुखाबाद, आरोही टुडे न्यूज़
अभिषेक तिवारी की रिपोर्ट
जिले में डग्गामार वाहनों का संचालन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर वाहन चालकों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता का अभाव। एक ओर परिवहन विभाग की ओर से सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर वाहन चालक नियमों को ताक पर रखकर अपने और यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। टेंपो, मैजिक, छोटा हाथी आदि वाहनों में बैठने का स्थान न होने के बावजूद वे लटक कर यात्रा करने से भी गुरेज नहीं करते।
यातायात नियमों का पालन करना सभी का दायित्व है। इससे न केवल वाहन चालक बल्कि सड़क पर चलने वाला हर व्यक्ति सुरक्षित रहता है। ये सब पता होने के बाद भी अधिकांश वाहन चालक नियमों का पालन करनें में अपनी तौहीन समझते हैं। समय-समय पर एआरटीओ तथा पुलिस के स्तर से इन वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है। इन वाहनों के चालान तो होते ही हैं, कभी कभी वाहन सीज भी कर दिए जाते हैं। लेकिन डग्गामार वाहन चालक कुछ दिन शांत रहने के बाद फिर से अपने पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं।
लोगों का आरोप है कि सरकार ने केंद्रीय मोटर यान अधिनियम 1989 में सवारी, निजी गाड़ियों की फिटनेस के लिए मानक जारी करने के साथ ही उसकी निगरानी की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित कर दी है। कई एजेंसियों की निगरानी के बावजूद डग्गामार वाहनों का बच निकलना, लापरवाही को दर्शाता है।
जिम्मेदारों की कमजोर निगरानी और अफसरों की लापरवाही के कारण ही डग्गामार वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। वाहनों की फिटनेस पर विशेष ध्यान रखा जाता है। सड़कों पर अनफिट वाहन किसी दशा में न चल सकें।