कायमगंज,फर्रुखाबाद,आरोही टुडे न्यूज़
वैसे तो रिश्वतखोरी जैसी बीमारी की कड़वी सच्चाई किसी से छिपी नहीं रहती। लेकिन लोग किसी मजबूरी बस या खुद समर्थ ना होने की स्थिति में इस लाइलाज हो चुकी बीमारी के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते हैं। किंतु कुछ लोग इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। ऐसी उठाई गई आवाज आज चर्चा का विषय बन गई है। ऐसे प्रकरणों में वीडियो भी वायरल होते रहते हैं। किंतु कुछ समय बाद काम उसी ढर्रे पर आ जाता है। खैर जो भी हो किंतु इस समय चर्चा का विषय बना मामला एक अधिवक्ता तथा तहसीलदार कायमगंज के बीच का है। जिसमें अधिवक्ता ने तहसीलदार पर रिश्वतखोरी का खुला आरोप लगाते हुए शिकायत जिलाधिकारी फर्रुखाबाद से की थी। मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने जांच कमेटी नियुक्त कर जांच के आदेश दे दिए हैं। रिश्वत का आरोप लगना और लगाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी तहसील कायमगंज में ऐसे कृत्यों के वीडियो वायरल होते रहे हैं। वह एक अलग बात रही होगी। लेकिन इस बार तो आरोप सीधे तहसीलदार कायमगंज कर्मवीर सिंह पर है। तहसीलदार पर अधिवक्ता नाजिर खां ने जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि तहसीलदार कायमगंज के पास तहसील के पांच न्यायालयों का चार्ज वर्तमान में है। कार्यव्यवस्ता अधिक होने के कारण दाखिलखारिज ,धारा 34रा0सहि0 का समय होता है। जिनमें 60 से 70 दिन लग जाते हैं। विभिन्न फाइलों में कार्य करने के नाम पर 25 से 30 हजार रूपए रिश्वत की मांग की जाती है। बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता है। तहसील में पांच साल से अधिक कलेक्ट्रट के पुराने बाबू कार्यरत है। जो रिश्वतखोरी को बढ़ावा दिए हुए हैं। रिश्वतखोरी के मामले की शिकायत इससे पूर्व अधिवक्ता द्वारा 18जुलाई 2022 को व 06 अगस्त 2022 को भी जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह व अध्यक्ष /सचिव राजस्व परिषद लखनऊ,मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ व मंडल आयुक्त कानपुर से की गई। जिस पर जिलाधिकारी द्वारा 22 फरवरी 2023 को पत्र भेजकर अपर जिलाधिकारी सुभाष चन्द्र प्रजापति के समझ बयान दर्ज कराने के आदेश दिए। जिस पर जांच कर कार्यवाही हो सकती है। अधिवक्ता ने बताया कि जब से शिकायत की है। तहसीलदार द्वारा उनकी सभी फाइलें रोक दी गई हैं। अधिवक्ता का आरोप है कि उन पर समझौता का दबाव बनाया जा रहा है। रिश्वतखोरी का यह आरोप इस समय तहसील परिसर के बाहर तक पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय तो बन गया। लेकिन लोग जांच आदेश के बाद भी जांच के बाद परिणाम के बारे में अपने-अपने ढंग से अलग-अलग तरह की राय व्यक्त कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि आरोप सही है या फिर नहीं। यह तो निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच कार्यवाही से ही पता चलेगा।
संवाददाता अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट