–स्वयं ग्रसित हैं फाइलेरिया से, इसलिए लोगों को बता रही हैं गंभीर बीमारी से बचने के उपाय
-फाइलेरिया से बचाव का एक ही विकल्प ‘सर्वजन दवा सेवन’
(डॉक्टर एसबीएस चौहान द्वारा) इटावा, आरोही टुडे न्यूज
फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, जो किसी भी व्यक्ति को जीवन भर के लिए अपंग बना सकती है, इसलिए हर व्यक्ति को फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा का सेवन करना बहुत जरूरी है। यह कहना है महेवा ब्लाक के शेरपुर गांव की फाइलेरिया से ग्रसित 52 वर्षीय आशा कार्यकर्ता लेखा का।
लेखा ने बताया कि वर्ष 1996 में अचानक दो-तीन दिन बुखार आया, फिर पांच दिन बाद उनके दाएं पैर में सूजन आ गई और सूजन बढ़ती चली गई। इसके बाद स्थानीय चिकित्सकों से इलाज कराया, आराम नहीं मिला। उसके बाद आगरा, कानपुर जाकर इलाज कराया, लेकिन तब भी कोई फायदा नहीं हुआ। इसी तरह से समय बीतता रहा, समस्या खत्म नहीं हुई। इलाज में बहुत सारा धन खर्च हुआ सो अलग।
उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता के रूप में वर्ष 2006 में कार्य करना शुरू किया। लिखा ने बताया कि 2005 में एक दिन जिला अस्पताल आकर जांच करवाई तब फाइलेरिया की पुष्टि हुई। फाइलेरिया प्रबंधन और रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी मिली और उसके बाद दवा ली। चिकित्सक ने फाइलेरिया ग्रसित पैर की साफ-सफाई और व्यायाम के संदर्भ में भी बतायाl
लेखा ने बताया- “फाइलेरिया की वजह से पैर में सूजन और असहनीय दर्द होता है, इसलिए इस पीड़ा को मुझसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। मैं आशा कार्यकर्ता के रूप में कार्य करती हूं और मुझे व्यक्तिगत रूप से फाइलेरिया प्रबंधन और रोकथाम के बारे में प्रशिक्षण दिया गया, तो अब मेरा मन करता है कि मैं सही रूप से इसके बारे में लोगों को जानकारी दूं। मैं चाहती हूं जो समस्या मेरे साथ हुई वह किसी और के साथ न हो। इस लिए मैं अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को बताती हूं कि फाइलेरिया से बचाव का एक ही विकल्प है- सर्वजन दवा सेवन।” उन्होंने बताया जो दवा नहीं खाते हैं उन्हें दवा खाने के लिए प्रेरित करती हूं और बताती हूं कि जो मेरे पैर की स्थिति है कल उनके पैर की न होl इसलिए समझदारी इसी में है- दवा का सेवन जरूर करें।
लेखा बताती हैं कभी-कभी ग्रामीण लोग दवा खाने के लिए मना करते हैं या बाद में खाने के लिए कहते हैं तो उन्हें ग्रामीण भाषा में आत्मीय संवाद के साथ मना लेती हूं और दवा सेवन कराती हूं।
लेखा बताती हैं- “मेरे गांव और आसपास के गांव में जो लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं, उनके संपर्क में मैं निरंतर रहती हूं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जब भी कैंप लगता है मैं व्यक्तिगत रूप से सभी से संपर्क कर उन्हें वहां ले जाती हूं, जिससे उन्हें प्रभावित अंग की साफ-सफाई व व्यायाम के संदर्भ में सही जानकारी मिले, समय से दवा मिले और फाइलेरिया प्रबंधन के बारे में वह बेहतर तरीके से जान सकें।
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिल चुका है सम्मान भी
महेवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ गौरव त्रिपाठी ने बताया कि लेखा के काम से सभी बहुत प्रभावित हैं। वह फाइलेरिया प्रबंधन और सर्वजन दवा सेवन के लिए वह आशा कार्यकर्ता के रूप में बेहतर कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों को बुखार आने के बाद अगर किसी अंग में सूजन आती है तो वह व्यक्तिगत तौर पर बहुत ही गंभीरता से उस व्यक्ति की फाइलेरिया की जांच कराती हैं। उन्हें पिछले वर्ष सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सम्मानित भी किया जा चुका है।
डीसीपीएम प्रभात बाजपेई ने बताया कि आशा लेखा ने अपने कार्य से अपने ही ब्लॉक में नहीं बल्कि पूरे जिले में एक अलग पहचान बनाई है। सभी उनकी कार्यशैली की चर्चा करते हैं और अन्य आशा बहनों को भी उनका उदाहरण पेश करते हैं, जिससे उनको भी बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।