कायमगंज ,फर्रुखाबाद,आरोही टुडे न्यूज़
प्राथमिक शिक्षा में सुधार लाने के लिए शासन स्तर से विभिन्न प्रकार की योजनाएं भले ही अमल में लाई जा रही हों । किंतु जब तक छात्रों के अभिभावक उन्हें अच्छे संस्कार देने का भरसक प्रयास नहीं करते। तब तक बच्चों की शिक्षा के स्तर में सुधार होता शायद निकट भविष्य में भी संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। नई शिक्षा नीति के अनुसार कोई भी शिक्षक किसी भी बच्चे को हल्का दंड तक नहीं दे सकता। यहां तक की उसे तेजी से डांटना तक मना है। यह बात मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी सत्य है कि बिना थोड़े बहुत भय के सही ढंग से बच्चा अनुशासन का मूल्य नहीं समझ पाता है। इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे को प्रताड़ित करने की छूट दे दी जाए। ऐसा कदापि नहीं हो सकता और होना भी नहीं चाहिए। बिना किसी दबाव के जो बात नौनिहाल समझ सकता है। शायद वह दंड देकर इतनी आसानी से इस बदलते परिवेश में नहीं समझ सकता। ऐसे में विद्यालयों की व्यवस्था उसी के अनुरूप होनी चाहिए। लेकिन शिक्षकों को शिक्षण के अलावा अन्य सरकारी कामों में लगा कर यह कार्य भी पूरा नहीं किया जा सकता। खैर जो भी हो आज विकासखंड कायमगंज के परिषदीय विद्यालय मद्दूपुर में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला जहां स्कूल के बच्चे बेर तोड़ने के लिए स्कूल परिसर के पास ही खड़े बेरी के पेड़ों पर चढ़े हुए थे ,और बेर तोड़ने में मस्त दिखाई दे रहे थे । हालांकि ऐसे बच्चों की संख्या बमुश्किल से तीन या चार ही थी। बाकी बच्चे स्कूल में बैठे पढ़ाई कर रहे थे। बताया गया कि इस स्कूल में कुल 3 लोगों का स्टाफ है। इसमें से एक शिक्षक प्रशिक्षण पर हैं ,तो एक मैडम अपने घर पर थी। केवल एक शिक्षामित्र स्कूल के बच्चों को घेरकर पढ़ाने का प्रयास करते हुए दिखाई दे रही थी। साथ ही वह स्कूल के अभिलेख रजिस्टर आदि भी पूरे करती जा रही थी। और यह काम करने वाली महिला शिक्षामित्र थी। उन्होंने बताया कि अभी मध्यान्ह भोजन वितरित कराया गया था।तीन चार बच्चे अपने घर पर खाना खाने की जिद करके स्कूल से चले गए थे। और वही जाकर बेरी के पेड़ पर चढ़ गए होंगे। जब उनसे यह पूछा गया कि स्कूल समय में बेरी के पेड़ पर चढ़े बच्चे यदि गिरकर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाएं । तो इसका जिम्मेदार कौन होगा । तो उन्होंने स्पष्ट लहजे में कहा कि नियमानुसार तो इसके लिए जिम्मेदारी हमारी ही होगी ।लेकिन करें क्या बच्चे जिद करते हैं और कितना भी रोको लेकिन बे बाहर निकल ही जाते हैं। बात भी सही थी। जिस स्कूल में 3 लोगों की नियुक्ति हो और उसमें से केवल शिक्षामित्र ही पूरे स्कूल की जिम्मेदारी संभालेगा। दो पूर्णकालिक शिक्षक स्कूल के समय स्कूल में नहीं होंगे। तो फिर बच्चे तो अनुशासनहीनता करेंगे ही। ऐसे में करोड़ों का व्यय करके भी शासन जिस तरह का सुधार प्राथमिक शिक्षा में करना चाहता है। फिलहाल होता तो दिखाई नहीं दे रहा है।
संवाददाता अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट