Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

न योगी का मैजिक चला, ना भूपेंद्र चौधरी की रणनीति… घोसी उपचुनाव में कैसे जीती सपा?

घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि घोसी की जनता ने बीजेपी को 50 हजारी पछाड़ दिया है. घोसी में सपा जीत की दहलीज तक पहुंच गई है तो इसके पीछे क्या

पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी सीट के लिए हुए उपचुनाव का परिणाम आ गया है. घोसी में सरकार से लेकर संगठन तक, दिग्गजों का कैम्प करना भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के काम नहीं आया. न सीएम योगी का मैजिक चला, ना भूपेंद्र चौधरी की रणनीति. घोसी में साइकिल दौड़ती रही और 26 राउंड की मतगणना के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने 35 हजार 35 वोट के बड़े अंतर से बढ़त बना ली.

सपा के सुधाकर को 1 लाख 1 हजार 12 वोट मिले हैं और बीजेपी के दारा को 65 हजार 979. सपा के खेमे में जीत का विश्वास है तो वहीं बीजेपी को चमत्कार की आस है. सपा ने ट्वीट कर घोसी में जीत के लिए जनता का आभार भी व्यक्त कर दिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर कहा है कि जनता ने बीजेपी को 50 हजारी पछाड़ दी है. कौन से फैक्टर घोसी में सपा के पक्ष में गए, बीजेपी को क्या भारी पड़ा? आइए जानते हैं.

दलबदलू छवि, बाहरी उम्मीदवार का नारा-

वरिष्ठ पत्रकार विनय कुमार ने कहा कि दारा सिंह चौहान की दलबदलू छवि बीजेपी को भारी पड़ी. समाजवादी पार्टी घोसी में दारा सिंह चौहान की दलबदलू नेता और बाहरी उम्मीदवार की इमेज गढ़ने में सफल रही. इसका फायदा भी पार्टी को मिला. दारा सिंह चौहान को लेकर जनता की नाराजगी चुनाव प्रचार के दौरान भी देखने को मिली लेकिन स्थानीय नेता उसे राजनीतिक विरोध के चश्मे से देखते रहे.

एनडीए पर भारी पड़ा सपा का समीकरण-

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विपक्षी एकजुटता की कवायद के बीच ये कहा था कि पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) ही एनडीए को हरा सकता है. घोसी उपचुनाव अखिलेश के नारे का भी टेस्ट था जिसमें सपा पास होती नजर आ रही है. सपा ने बीजेपी की रणनीति के हिसाब से चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रणनीति तय की. पीडीए के साथ सवर्ण वोट के तड़के ने सपा की जीत की राह तैयार की.

बीजेपी के बड़े नेताओं की काट लोकल लीडरशिप-

बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समेत तमाम नेताओं ने घोसी में डेरा डाल दिया था. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के लिए भी ये उपचुनाव सरकार और एनडीए में पद-कद निर्धारित करने वाला चुनाव था. राजभर ने भी खूब प्रचार किया लेकिन सपा की वोकल फॉर लोकल की स्ट्रेटेजी बीजेपी के बड़े नेताओं पर भारी पड़ी. सपा की ओर से शिवपाल यादव ने प्रचार अभियान की कमान संभाली और राजीव राय समेत इलाके के नेताओं ने प्रचार का मोर्चा.

भूमिहार वोट की लड़ाई में फिसड्डी साबित हुए शर्मा-

योगी सरकार में बिजली मंत्री एके शर्मा भूमिहार मतदाताओं की उनकी नाराजगी दूर कर बीजेपी के साथ खड़ा करने में विफल रहे. बसपा सांसद अतुल राय पर एक्शन के साथ ही कई चीजों को लेकर भूमिहार मतदाता बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. बीजेपी ने भूमिहार मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी घोसी के ही रहने वाले योगी सरकार के मंत्री एके शर्मा को दी थी. एके शर्मा ने डोर-टू-डोर जनसंपर्क भी किया लेकिन इसका कुछ खास असर पड़ा नहीं.

विनय कुमार ने कहा कि एके शर्मा की इमेज एक ईमानदार अधिकारी की जरूर रही है लेकिन वे मास लीडर नहीं हैं. मनोज सिन्हा की सक्रिय राजनीति से दूरी के बाद बीजेपी में भूमिहार नेतृत्व का शून्य उत्पन्न हुआ है और घोसी में पार्टी का पिछड़ना भी इस ओर इशारा करता है. बसपा सांसद अतुल राय के मामले को लेकर भी भूमिहार बिरादरी में बीजेपी के प्रति नाराजगी है. फिर भी एके शर्मा की जगह अगर मनोज सिन्हा मैदान में होते तो कुछ और बात हो सकती थी. सपा की ओर से राजीव राय फ्रंट पर थे और भूमिहार समाज में भी पार्टी को इसका फायदा मिला.

सवर्ण कैंडिडेट भी सपा के पक्ष में गया-

सपा के पक्ष में एक बात और गई. बीजेपी के दारा सिंह चौहान के खिलाफ पार्टी ने सवर्ण चेहरे सुधाकर सिंह पर दांव लगाया. इसका नतीजा ये रहा कि मुस्लिम और यादव मतदाताओं के साथ राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार बिरादरी के मतदाताओं का भी पार्टी को समर्थन मिल गया. शिवपाल के कैंप करने से गैर यादव ओबीसी मतदाताओं का भी थोड़ा-बहुत समर्थन जुटाने में सपा सफल रही.

बीजेपी को भारी पड़ी स्थानीय नेताओं की नाराजगी-

वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी ने कहा कि बीजेपी को सीएम योगी और पीएम मोदी के चेहरे पर वोट मिलने का विश्वास ले डूबा. योगी और मोदी के नाम पर लोग वोट देते हैं, सही है लेकिन आप जिसे टिकट देते हैं उसकी इमेज और स्थानीय कार्यकर्ताओं के भाव भी महत्व रखते हैं. दारा सिंह चौहान को टिकट दिए जाने से पार्टी के कार्यकर्ता और स्थानीय नेताओं में भी नाराजगी थी. प्रदेश अध्यक्ष और अन्य बड़े नेताओं के कैंप करने के बाद नाराजगी दूर करने की ओर बीजेपी ने काम भी किया लेकिन पार्टी की स्थानीय लीडरशिप दारा को स्वीकार नहीं कर पाई

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

× How can I help you?