Download App from

चरित्र निर्माण, ग्राम्य विकास, मद्य निषेध व महिला सशक्तीकरण की प्रदर्शनियों का उद्घाटन श्री श्री 1008 स्वामी जयदेवानन्द सरस्वती ने किया

 

फर्रुखाबाद ,आरोही टुडे न्यूज

मेला श्री रामनगरिया में सर्च लाईट भवन बीबीगंज द्वारा लगाई गई चरित्र निर्माण, ग्राम्य विकास, मद्य निशेध एवं महिला सशक्तीकरण की प्रदर्शनियों का उद्घाटन श्री श्री 1008 स्वामी जयदेवानन्द सरस्वती ने रिवन काटकर किया एवं जिसमें मूल्यों एवं आध्यत्मिक शिक्षा द्वारा स्वर्णिम भारत की ओर विषय कार्यक्रम का अयोजन किया गया ।

लखनऊ से आईं मुख्य वक्ता बी.के.राधा बहन ने कहा कि आज की शिक्षा का उद्देष्य ज्ञान नहीं बल्कि धनोपार्जन के लिए करते है। हर एक शिक्षक एक महान शिल्पी है जो एक बच्चे को नए रूप में विश्व के समक्ष लाता है। जब तक जीवन में गुण नहीं आते है तव तक आप गुणवान नहीं बन सकते। स्वयं के अन्दर गुण को लाने वाला यह अनोखा विश्व विद्यालय है । परमपिता ने हमको सर्व गुणों से भरकर देवता बनाकर भेजा था परन्तु इस दुनिया के कर्मक्षेत्र में कर्म करते गुणों का क्षरण होता गया और हम देवता से लेवता बन गए है। अव फिर से अपने उस स्मृति को ताजा करो जिसमें हम कहते थे के तुम्ही हो माता….. यदि ये पक्का हो जाएगा परमपिता के साथ सच्चा सम्बन्ध स्थापित हो जाएगा तो हमको अपने गुणों का जीवन में आना अति सहज हो जाएगा। स्वर्णिम युग तव आएगा जव हम अपने में गुणों को लाएगें।

विषेश अतिथि उप शिक्षा निदेशक उन्नाव भ्राता राजेश कुमार साही ने कहा कि किसी वैज्ञानिक ने कहा है कि धर्म और आघ्यत्मिकता के विना शिक्षा अपूर्ण है। किसी को ज्ञान, गुण या “व्यक्ति की आवष्यकता है तो आप इस सव गुणों से पूर्ण परमपिता परमात्मा के साथ स्वयं को जोड़ो । पठन -पाठन से पहले स्वयं के मन को शांत करें तो शिक्षा को स्वयं में सहज ही भर सकते है। हमारी समस्त शिक्षाओं का सार केवल परिवर्तन ही है। फिर चाहे वह स्वयं का हो अथवा संसार में चल रही अनेक धर्म, वर्ग की कुरीतियों का हो। जव तक संसार में परिवर्तन नहीं होगा तव तक संसार में स्वर्णिम युग की कल्पना केवल कल्पना ही रहेगी। इसलिए हमारे विद्वानों ने लिखा है ”विद्या ददाति विनयम्…….ततः सुखम्।। अर्थात् विद्या से कई मूल्यवान गुणों की प्राप्ति सहज ही की जा सकती है।

बी.के.मंजु बहन ने शिक्षक का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि शिक्षक अर्थात शि – शिक्षा, क्ष- क्षमा , क- कर्मठ जो इन गुणों से पूर्ण है वही एक अच्छा शिक्षक है। हमारे इस विश्व विद्यालय की शिक्षा की डिग्री का जो लक्ष्य है वह हर शिक्षण संस्थान की डिग्री से ऊचा है | हम ईष्वर के सच्चे विद्यार्थी बनकर उसी प्रकार भगवान भगवती बनते है इसलिए संसार में कहावत है ”नर एैसी करनी करे जो श्री नारायण बने एवं नारी एैसी करनी करे जो श्री लक्ष्मी बने| जिस प्रकार किसी शिक्षक की शिक्षा पाकर हम बकील डाक्टर या इन्जीनियर बनते हैं। ईश्वर हमे अपनी ज्ञानयुक्त राजयुक्त शिक्षा देते है जिससे हम एैसे महान वनते है। उनकी श्रीमत पर चलकर हम स्वर्णिम भारत बनाने का कार्य भी पूरा कर सकते है।

विशिष्ट अतिथि एडीएम सुभाष प्रजापति ने कहा कि आज हमारे पास कई प्रकार की शिक्षा की डिग्री है पर फिर भी हम सुख से दूर क्यों है? क्योकि आज की शिक्षा में आध्यात्मिकता एवं नैतिकता को खत्म कर दिया है क्योकि आध्यात्मिकता का क्षरण होने के कारण आज शिक्षा केवल पेशा वन गई है सच्चा अर्थ समाप्त हो चुका है। यदि आपने किसी को अपना आईडल बनाया है तो उसके पीडे कितना संघर्श किया है उसे भी स्मरण में रखना चाहिए एवं उनके गुणें को स्वयं में भरना चाहिए ।

अमृतपुर विधायक सुशील शाक्य ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रचीन समय में गुरूओं के द्वारा आध्यात्मिक , शास्त्र एवं शस्त्रों की शिक्षा दी जाती थी परन्तु मैकले के द्वारा शिक्षा का रूप ही बदल दिया गया | शिक्षा ज्ञान से बदलकर कमाई के लिए हो गई। अच्छे अंक लाना ही शिक्षा का लक्ष्य हो गया है । शिक्षा को धारण करके स्वयं को बदला जा सकता है एवं दूसरों को बदलने के लिए प्रेरित भी किया जा सकता है। कहा जाता कि कहने से ज्यादा देखने से परिवर्तन होता है। जब हम श्रेष्ठ कर्म करेंगें तब ही भारत विश्व गुरू बनेगा।

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

× How can I help you?